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【心灵诗词】七绝 野菊 |
发表于 2014-9-23 13:36:16
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发表于 2014-9-23 19:31:02
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发表于 2014-9-27 08:53:03
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田园陶得怡情醉,野猎寻来雅趣悠。耕种诗心闲弄笔,夫言古韵墨文留。
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发表于 2014-10-8 22:33:09
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发表于 2014-10-8 22:41:17
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发表于 2014-10-8 22:41:19
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发表于 2014-10-8 22:42:10
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发表于 2014-10-8 22:43:07
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